इतिहास

भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक उद्देश्य दुनिया के देशों  के  साथ सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित और मजबूत करना था। यह 1946 में नई दिल्ली में आयोजित ऐतिहासिक एशियाई संबंध सम्मेलन में परिलक्षित हुआ था जिसमें अन्य एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने और भारतीय समृद्ध संस्कृति को "भारतीय आँखों" के माध्यम से पेश करने के लिए भारतीय सांस्कृतिक सहयोग परिषद की स्थापना करने का संकल्प लिया गया था।  इसके  लगभग तीन साल बाद भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की स्थापना की गई। हालाँकि, इसका दायरा केवल एशियाई क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था। प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम  आज़ाद (जो 1950 से 1958 तक ICCR के अध्यक्ष थे) ने शेष विश्व के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध बनाने के कार्य को शामिल करने के लिए इसके कार्यक्षेत्र को बढ़ाया।

ICCR की स्थापना और औपचारिक उद्घाटन अप्रैल 1950 में हुआ था। मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में परिभाषित इसके उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल थे: -

- भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और आपसी समझ को स्थापित करना, पुनर्जीवित करना और मजबूत करना।

- अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।

- अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक अन्य सभी उपाय अपनाना।

 

अपनी स्थापना से लेकर 1958 तक, ICCR शिक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार में था। यह व्यवस्था 22 अप्रैल, 1970 तक जारी रही, जब विदेश मामलों की कैबिनेट समिति के एक निर्णय के बाद परिषद का अधिकार क्षेत्र विदेश मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया। स्थानांतरण का प्रस्ताव 1967 में श्री एम.सी. छागला द्वारा शुरू किया गया था। यहाँ यह ध्यान  देने की बात है कि  यह निर्णय  श्री छागला ने शिक्षा मंत्री के रूप में अपने पिछले प्रभार से विदेश मंत्री के रूप में नियुक्ति के बाद लिया। 

 

परिषद को भारत की विदेश नीति का एक प्रभावी साधन बनाने की दृष्टि से विदेश मंत्रालय ने 1970-71 में परिषद का प्रशासनिक और परिचालन नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। 1978 में, अशोक मेहता समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, परिषद ने विदेश  जाने वाले  सांस्कृतिक दलों  और विदेश से भारत आने वाली  समस्त सांस्कृतिक गतिविधियों से संबंधित कार्य  एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से संबंधित कार्य संस्कृति विभाग से अपने हाथ में ले लिए।

प्रारंभिक वर्षों में, ICCR के लक्ष्य और उद्देश्य दो प्रकार के थे:

 

(ए) भारतीय संस्कृति और विरासत को अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्र पर पेश करना और भारत को भारतीय नजरिए से प्रस्तुत करना ताकि औपनिवेशिक युग के दौरान  भारत के बारे में बनाई गई विभिन्न विकृतियों को ठीक किया जा सके;

और (बी) अन्य देशों, विशेष रूप से नए उभरते देशों के साथ लोगों से लोगों के बीच संपर्क बनाना।

 

कुल मिलाकर, ICCR की गतिविधियों ने इन व्यापक उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद की है।

 

---19 दिसंबर 1995 को लोकसभा में प्रस्तुत विदेश मामलों की स्थायी समिति की नौवीं रिपोर्ट से